काव्यांजलिव्रत एवं त्यौहार

अधर्म पर धर्म की विजय का महापर्व विजयादशमी

विजयदशमी (Vijayadashami) का त्योहार भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, और यह हिन्दू पर्व है जो नवरात्रि के आखिरी दिन के रूप में मनाया जाता है। विजयदशमी का मतलब होता है ‘विजय का दिन’ या ‘विजय की प्राप्ति का दिन’। इस दिन के महत्व के पीछे कई मान्यताएँ और कथाएँ छिपी हुई हैं, जो इसे एक अद्वितीय पर्व बनाती हैं।

विजयदशमी के पर्व का मुख्य उद्देश्य विजय के साथ आत्मा की शुद्धि और सफलता की प्राप्ति करना है। इस दिन लोग मां दुर्गा की पूजा करते हैं और उनके पूजन के बाद विजय दिवस का जश्न मनाते हैं।

विजयदशमी का आयोजन भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से होता है। इसे ‘दशहरा’ भी कहा जाता है, और यह दिन विभिन्न पर्वस्थलों पर विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है। एक और उपनयन का पर्व, जिसे विजयदशमी कहा जाता है, हिन्दू संस्कृति में बड़े महत्वपूर्ण होता है।

विजयदशमी के दिन लोग विभिन्न प्रकार की रावण दहन की तैयारियाँ करते हैं। इस दिन कई स्थानों पर रावण, मेघनाद और कुम्भकर्ण के पुतले बनाए जाते हैं, और उन्हें आग में जलाया जाता है। इसके साथ ही, श्रीराम और लक्ष्मण के पुतले को भी दहन किया जाता है, जिसका संकेत विजय की प्राप्ति के साथ ही बुराई की पराजय को दर्शाता है।

विजयदशमी का यह खास महत्व है क्योंकि यह एक समाज में एकता और सामंजस्य की भावना को बढ़ावा देता है। इस दिन लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर पूजा करते हैं और एक दूसरे को आशीर्वाद देते हैं।

विजयदशमी का यह पावन पर्व हमें यह याद दिलाता है कि सच्चे भावनाओं और संकल्पों के साथ किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है। यह हमें असली जीत की महत्वपूर्ण पाठ देता है और हमें बुराई से लड़ने की साहस और सामर्थ्य देता है।

इस पावन अवसर पर, हम सभी को विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ! इस दिन को समृद्धि, सफलता और खुशियों का प्रतीक मानकर जीवन में नए आरंभ की शुरुआत करें।

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