व्रत एवं त्यौहार
छठ पूजा: बिहार का प्रमुख त्योहार
छठ पूजा, जिसे छठ, छठी, सूर्य षष्ठी, और सूर्य पूजा भी कहा जाता है, विशेषकर बिहार राज्य में मनाया जाने वाला एक अद्वितीय हिन्दू त्योहार है। यह त्योहार नवंबर और दिसंबर के बीच मनाया जाता है और सूर्य देवता की पूजा के लिए अर्घ्य अर्पित करने का अवसर प्रदान करता है।
परंपरागत तौर पर मनाया जाने वाला छठ पूजा:
- नाहाय-खाय: छठ पूजा का आगाज नाहाय-खाय से होता है, जिसमें प्रशाद बनाने के लिए व्रती और उनके परिवार के सदस्य समुद्र या नदी के किनारे जाते हैं।
- खाय-पाई: इस दिन, व्रती महिलाएं विशेष रूप से खाय-पाई के लिए व्रत रखती हैं और सूर्य उगते समय अर्घ्य अर्पित करती हैं।
- रात का आराधना: छठ की रात को, व्रती और उनके परिवार सभी आसमान को रोशनी से सजाते हैं और सूर्य को आराधना करते हैं।
- गंगा स्नान: बिहार के कई स्थानों पर, छठ पूजा के दौरान व्रती गंगा नदी में स्नान करते हैं, जिससे इसका महत्त्व और बढ़ता है।
- प्रसाद: छठ पूजा में बनने वाले खाद्य प्रसाद में गुड़, चावल, दूध, बनाने की पत्तियाँ, और गुड़ की मिठास समाहित होती हैं।
छठ पूजा का महत्व:
छठ पूजा बिहार की सांस्कृतिक धारा में गहराई से प्रतिष्ठित है, जो सूर्य देवता की पूजा के माध्यम से मानवता को प्रकृति से जोड़ने का सन्देश देता है। यह एक परंपरागत त्योहार होने के साथ-साथ, समृद्धि, समर्थन, और परिवार के महत्व को भी दर्शाता है।
छठ पूजा के इस अनूठे मिश्रण में, लोग आपसी समर्थन, प्रेम, और समर्पण की भावना से भरपूर होते हैं, जो इसे एक अनूठे और सामाजिक त्योहार बनाता है।
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