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अब रोज़ के खाने  से बूस्ट करें अपना कोलेजन..और स्किन को बनाए जवां.

40 के बाद भी जवां दिखना चाहती हैं, तो अपनी डाइट में एड करें कोलेजन फूड। यहां हम उसके आहार स्रोत बता रहे हैं। 

समय के साथ हमारी स्किन ढीली पड़ने लगती है। उनमें कसाव का अभाव हो जाता है और उन पर झुर्रियां और महीन रेखाएं पड़ने लगती हैं। क्या आप जानती हैं कि स्किन पर बढ़ती उम्र के निशान कोलेजन प्रोडक्शन में कमी के कारण होते हैं। इससे बचने के लिए जरूरी है कि आप अपनी उम्र के दूसरे दशक में उन फूड्स को आहार में शामिल करें, जो कोलेजन (Collagen foods) बढ़ाने में मददगार हैं। 

क्या है कोलेजन 

इंसान के शरीर में स्वाभाविक रूप से कोलेजन बनता है। कोलेजन मनुष्यों और जानवरों की स्किन और कनेक्टिव टिश्यूज में पाए जाने वाले मुख्य स्टरक्चरल प्रोटीन हैं। यह मानव शरीर में लगभग 30% प्रोटीन बनाता है। 

पौधों में भी कोलेजन होता है। ग्लाइसिन, प्रोलाइन, हाइड्रॉक्सीप्रोलाइन, लाइसिन और आर्जिनिन जैसे कई अमीनो एसिड कोलेजन में पाए जाते हैं। उम्र बढ़ने के साथ इसके उत्पादन में कमी हो जाती है। इससे त्वचा अपनी लोच और मजबूती खो देती है, जिससे झुर्रियां और महीन रेखाएं होने लगती हैं।

समझिए आपकी उम्र और कोलेजन का संबंध 

उम्र के बीसवें वर्ष से हम कोलेजन खोना शुरू कर देते हैं। 40 के बाद तो हमारा शरीर हर वर्ष 1 प्रतिशत कोलेजन खोने लगता है। कोलेजन को एंटी एजिंग एलिमेंट माना जाता है। ऐसा देखा गया है कि जिन लोगों ने कोलेजन सप्लीमेंट का प्रयोग किया उनके चेहरे पर उम्र बढ़ने के संकेत कम नजर आए। 

यदि आप 40 से अधिक होने के बावजूद खुद को जवां बनाए रखना चाहती हैं, तो कोलेजन को डाइट में शामिल करना जरूरी है। कैसे करें कोलेजन को अपनी डाइट में शामिल यह जानने से पहले हम कोलेजन के बारे में जानते हैं।

जानिए कोलेजन की कमी से होने वाली समस्याएं

कोलेजन कई प्रकार के होते हैं। मनुष्यों में मुख्य रूप से तीन प्रकार के कोलेजन होते हैं।

स्किन, टेंडन, वस्कुलेचर, ऑर्गन्स और बोंस में टाइप 1 कोलेजन मौजूद होता है।

कार्टिलेज में टाइप 2 मौजूद होता है।

कनेक्टिव टिश्यूज के जालीदार फाइबर में टाइप 3 कोलेजन मौजूद रहता है।

यह फाइन लाइंस, रिंकल और क्रोज फीट को कम करता है। यह वर्कआउट के कारण हो रही परेशानी को कम करता है। साथ ही ज्वाइंट स्टिफनेस और ऑस्टियोअर्थराइटिस को कम करता है। ज्वाइंट पेन को दूर करता है।

अपने भोजन में कैसे शामिल करें कोलेजन (How to add collagen in diet)

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1 : विटामिन सी की मात्रा बढ़ाकर

अपनी डाइट में ऐसे फलों को शामिल करें, जो विटामिन सी से भरपूर हाें। यह न्यूट्रीएंट शरीर को कोलेजन बनाने में मदद करता है। ब्लूबेरी, रास्पबेरी, स्ट्रॉबेरी, ब्लैकबेरी में विटामिन सी मौजूद होता है। हमारे शरीर में नेचुरली विटामिन सी नहीं बनते हैं। इसलिए हमें बाहर से इसे लेना पड़ता है। विटामिन सी से झुर्रियां कम होती हैं और स्किन को भरपूर पोषण मिलता है।

2 : ल्यूटिन कैरोटीनॉयड वाले आहार

ल्युटियन करोटेनॉइड के फूड को शामिल करना चाहिए जो ऑक्सिडेटिव डैमेज से स्किन को बचाते हैं।इसकी वजह से ही स्किन ड्राई हो जाती है और झुर्रियां पड़ने लगती हैं। 

ब्रोकली में जिंक, विटामिन ए और विटामिन सी के अलावा ल्यूटिन भी पाया जाता है। एक कप ब्रोकली खाने पर शरीर को विटामिन सी की एक दिन में ली जाने वाली फुल डोज मिल जाती है। यदि रेनी सीजन में ब्रोकली नहीं खा रही हैं, तो कॉर्न, पार्सले और काजू को भी अपनी डाइट का हिस्सा बनाएं। ये भी कोलेजेन बनाने में मदद कते हैं।

3 : स्टेरोल्स के लिए पिएं एलोवेरा जूस

एनिमल स्टडी और लैब में हुई स्टडी यह साबित करती है कि अलोएवेरा जूस कोलेजन सिंथेसिस को बढ़ाता है ।अलोएवेरा में एंटीएजिंग बेनिफिट्स हो सकते हैं।

एनल्स ऑफ डर्मेटोलॉजी जर्नल में प्रकाशित 2009 के एक अध्ययन के अनुसार, वैज्ञानिकों ने 45 वर्ष से अधिक उम्र की 30 महिलाओं को 90 दिन तक एलोवेरा जेल की खुराक पीने को दी। इससे उनकी स्किन में रिंकल्स कम दिखे और कोलेजन प्रोडक्शन में भी सुधार हुआ।

शोधकर्ताओं ने माना कि एलोवेरा में स्टेरोल्स नामक मोलीक्यूल्स होते हैं। ये स्टेरोल्स कोलेजन और हाइलूरोनिक एसिड के प्रोडक्शन को बढ़ावा देते हैं, जो स्किन में मॉयश्चर बनाए रखने में मदद करता है। इसलिए झुर्रियां कम बनती हैं। इसलिए रोज सुबह 2 चम्मच एलोवेरा जूस पिया करें।

4 : सल्फर कंटेट बढ़ाएं

लहसुन, ओट्स, दालें, नट्स, होल ग्रेन्स आदि न सिर्फ पोषण देते हैं, बल्कि कोलेजन प्रोडक्शन को भी इंप्रूव करते हैं। लहसुन में सल्फर कंटेंट अधिक होता है, जो कोलेजन को सिंथेसाइज करने में मदद करता है। यह कोलेजन ब्रेकडाउन को भी रोकता है।

5 : एनिमल बेस्ड डाइट 

एनिमल ऑर्गन्स, मछली और अंडा आदि एनिमल ऑर्गन्स में  कोलेजन टाइप 1 मौजूद होते हैं। चिकन, पोर्क ,बोन्स में कनेक्टिव टिश्यूज और मिनरल्स मौजूद होते हैं, जो नेचुरल कोलेजन प्रोडक्शन को बढ़ाते हैं। फिश में भी बोंस, स्किन और स्केल्स में कोलेजन होते हैं। अंडे के सफेद भाग में एक प्रमुख एमीनो एसिड प्रोलिन मौजूद होता है, जो कोलेजन प्रोडक्शन को बढ़ाता है।

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