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प्रेगनेंसी में क्यों डार्क हो जाती है स्किन, नहीं किया बचाव तो होता है ये नुकसान…

प्रेगनेंसी में का डार्क या काला पड़ना आम बात है लेकिन अगर इसका इलाज न किया जाए तो ये गंभीर समस्या भी बन सकती है. इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे हैं कि क्यों प्रेगनेंसी में स्किन डार्क हो जाती है और इससे होने वाले नुकसान को कैसे दूर किया जा सकता है.

प्रेगनेंसी में शरीर ही नहीं त्वचा में भी कई बदलाव देखने को मिलते हैं. गर्भवती को मूड स्विंग्स ही नहीं त्वचा में होने वाली खुजली या लालपन जैसी स्किन प्रॉब्लम्स भी परेशान करती हैं. इन नुकसानों में त्वचा का काला पड़ना भी शामिल है. प्रेगनेंसी में ऐसा होना आम बात है लेकिन अगर इसका इलाज न किया जाए तो ये गंभीर समस्या भी बन सकती है. इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे हैं कि क्यों प्रेगनेंसी में स्किन डार्क हो जाती है और इससे होने वाले नुकसान को कैसे दूर किया जा सकता है.

गर्भावस्था में क्यों त्वचा क्यों काली पड़ती है

प्रेगनेंसी में स्किन के डार्क होने को मेलास्मा कहा जाता है. इसमें शरीर के अंदर मेलेनिन ज्यादा बनने लगता है. मेलेनिन एक पिगमेंट है और प्रेगनेंसी में हार्मोनल चेंजेस की वजह से स्किन प्रभावित होने लगती है. इस दौरान स्किन पर काले धब्बे निकलते हैं जो होंठ के ऊपर, नाक के आसपास यानी गाल पर हो जाते हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि ऐसा होना स्वाभाविक है, लेकिन ध्यान न दिया जाए तो ये पिगमेंटेशन में तब्दील हो सकता है. खासतौर पर गले और चेहरे पर रंग सांवला पड़ने लगता है.

जानें इससे बचने के उपाय

– प्रेगनेंसी के दौरान स्किन का काला पड़ना आम है, लेकिन महिलाओं को इससे जुड़े कई उपाय जरूर अपनाने चाहिए. वैसे रोजाना एलोवेरा को लगाने से स्किन को डार्क पड़ने से बचाया जा सकता है.

प्राकृतिक उपचारों में आप नींबू के रस की मदद ले सकती हैं. इसमें त्वचा में निखार लाने वाला विटामिन सी होता है. प्रभावित हुई स्किन पर नींबू का रस लगाएं और फिर नॉर्मल पानी से धो लें.

– वैसे हल्दी भी टेनिंग या पिगमेंटेशन को कम करने में कारगर मानी जाती है. इसमें करक्यूमिन होता है जो पिगमेंट वाले एरिया को हल्का करने का काम करता है. हल्दी का मास्क बनाने के लिए इसमें रोज वाटर, कोकोनट मिल्क और नींबू का रस मिलाकर स्किन पर लगाएं.

वैसे आलू और प्याज के रस से भी टैनिंग या पिगमेंटेशन को कम किया जा सकता है. बता दें कि गर्भाव्यस्था में और इसके बाद अगर स्किन को रिपेयर न किया जाए तो ये प्रॉब्लम परमानेंट बनी रह सकती है.

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