जीवन शैली

बच्चों से न कहें मनोबल गिराने वाली ये बातें उनका आत्मविश्वास होगा जाएगा कम

अक्सर ही माता-पिता बच्चों को जाने-अनजाने ऐसी बातें बोल देते हैं जो उनपर बुरा असर डालती हैं. जानिए कौनसी हैं ये बातें जिन्हें कहने से पैरेंट्स को करना चाहिए परहेज. 

Bad Parenting: माता-पिता की अपने बच्चे को लेकर यही इच्छा रहती है कि बच्चा जिंदगी की हर दौड़ को जीत ले, हर चुनौती का बिना किसी सहारे सामना करना सीखे और उसे कभी हार का मुंह ना देखना पड़े. लेकिन, अपनी इस कोशिश में पैरेंट्स (Parents) बच्चे के साथ जाने-अनजाने जरूरत से ज्यादा सख्त हो जाते हैं या ऐसी कई बातें उन्हें कह देते हैं जो बच्चे के मनोबल को तोड़ने वाली साबित होती हैं. इससे होता यह भी है कि बच्चा कोंफिडेंस (Confidence) में कमी महसूस करने लगता है और उसकी परफोर्मेंस चाहे बाहर से अच्छी दिखे, अंदर से वह घबराने और डरने लगता है. इस तरह की चीजें आने वाले समय में उसे मनोवैज्ञानिक तौर पर भी अत्यधिक प्रभाविक करती हैं. ऐसे में पैरेंट्स को यह समझना जरूरी है कि उन्हें बच्चे से क्या कहना चाहिए और किन बातों से बचने की जरूरत है. 

बच्चों के आत्मविश्वास को कम करने वाली बातें 

“तुम्हें परफेक्ट बनना है” 

अक्सर ही कहा जाता है कि जिंदगी में कोई परफेक्ट नहीं होता है, लेकिन माता-पिता का बच्चे को यह कहना कि तुम्हें परफेक्ट बनना है उनपर दबाव बनाने लगता है. बच्चे अपने गोल्स पूरे करने के बाद भी घबराने लगते हैं कि कहीं माता-पिता की आकांक्षाओं पर खरे ना उतर सके तो क्या होगा. ऐसे में वे परफेक्ट बनने के लिए अपनी क्षमता से ज्यादा करने की कोशिश करते हैं और जब उन्हें रिजल्ट नहीं मिलता तो उनका मनोबल कम होने लगता है. 

बच्चों के आत्मविश्वास को कम करने वाली बातें 

“तुम्हें परफेक्ट बनना है” 

अक्सर ही कहा जाता है कि जिंदगी में कोई परफेक्ट नहीं होता है, लेकिन माता-पिता का बच्चे को यह कहना कि तुम्हें परफेक्ट बनना है उनपर दबाव बनाने लगता है. बच्चे अपने गोल्स पूरे करने के बाद भी घबराने लगते हैं कि कहीं माता-पिता की आकांक्षाओं पर खरे ना उतर सके तो क्या होगा. ऐसे में वे परफेक्ट बनने के लिए अपनी क्षमता से ज्यादा करने की कोशिश करते हैं और जब उन्हें रिजल्ट नहीं मिलता तो उनका मनोबलकम होने लगता है.

“सब तुम्हारी गलती है”

बच्चों का मन कांच सा होता है जो टूटने में समय नहीं लगाता. अगर बच्चा कोई गलती करता भी है तो उसपर दोषारोपण करने के बजाय उसे समझाएं कि गलतियां सभी से होती हैं, जिंदगी का नाम ही आगे बढ़ना है. लेकिन, जब माता-पिता किसी हार के लिए या किसी काम के लिए बच्चे को दोषी ठहराते हैं तो बच्चे के आत्मविश्वास में कमी आने लगती है. 

“उनके बच्चों को देखो तुमसे अच्छे हैं”

तुलना (Comparison) ऐसी चीज है जो बड़े-बड़ों के मनोबल को तोड़ देती है तो यहां तो बच्चों की बात हो रही है. बच्चों को यह कहना कि उनके बच्चे देखो तुमसे अच्छे हैं या उन्हें देखों कैसे माता-पिता की बात मानते हैं वगैरह बातें बच्चों को दुख पहुंचाती हैं. आपको बच्चे को बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए उसे आगे बढ़ने का हौसला देना है बजाय दूसरे बच्चों से उसकी तुलना करके उसे दुख पहुंचाने की कोशिश करनी है. 

“तुमपर शर्म आती है मुझे”

बच्चों के कच्चे दिल पर माता-पिता की ऐसी बातें पक्का प्रभाव छोड़ जाती हैं. बच्चा अगर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाया है, हार गया है या उसने कोई गलती की है तो उसे यह कहना कि तुमपर शर्म आती है मुझे बहुत गलत है. बच्चे का मनोबल, आत्मविश्वास और माता-पिता की तरफ उसका प्यार सभी कम होने लगते हैं और उसे जो दुख पहुंचता है उसका अंदाजा लगाना मुश्किल है. चाहे बच्चा ना जताए लेकिन उसका मन इन बातों से छलनी हो जाता है. इसीलिए, माता-पिता को बच्चे को डांटने या सुनाने के समय भी खुद पर संयम रखने पर ध्यान देने की जरूरत होती है. 

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