भगवान परशुराम का क्या है इतिहास, क्यों मनाई जाती है इनकी जयंती
भगवान परशुराम को हिंदू धर्म में विष्णु जी का अवतार माना जाता है. क्यों मनाई है विष्णु जी के अवतार भगवान परशुराम की जयंती जानें इनका इतिहास
हिंदू धर्म में भगवान परशुराम (Parshuram) को भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का छठा अवतार माना जाता है. भगवान विष्णु के कुल 24 अवतार (Avtaar) हैं.
इनमें से 23 अवतार अब तक पृथ्वी पर आ चुके हैं और 24वां अवतार ‘कल्कि अवतार’ होना बाकी है.
इन 24 अवतारों में से 10 अवतारों को भगवान विष्णु के मुख्य अवतार माना जाता है. उनमे से परशुराम का अवतार एक हैं.
परशुराम जयन्ती (Parshuram Jayanti) पर भगवान विष्णु के छठवें अवतार के जन्म दिवस के रुप में मनाया जाता है. हर साल वैशाख माह (Vaishakh Month) में शुक्ल पक्ष तृतीया को परशुराम जयंती मनाई जाती है.
भगवान परशुराम का जन्म प्रदोष काल (Pradosh Kaal) के समय हुआ था तथा इसीलिये जिस दिन प्रदोष काल के दौरान तृतीया तिथि होती है उस दिन को परशुराम जयन्ती (Parshuram Jayanti) का उत्सव मानाया जाता है.
भगवान परशुराम का इतिहास (History of Lord Parshuram)
भगवान विष्णु ने पापी, विनाशकारी तथा अधार्मिक राजाओं का विनाश कर पृथ्वी का भार हरने हेतु परशुराम जी के रूप में छठवाँ अवतार धारण किया था.
इन दुष्ट राजाओं ने पृथ्वी के संसाधनों को लूटा तथा राजाओं के रूप में अपने कर्तव्यों की उपेक्षा की थी.
भगवान परशुराम युद्ध और तीरंदाजी में अपने असाधारण कौशल के लिए पूजनीय हैं. उन्हें अपने पिता के प्रति समर्पण और धर्म को कायम रखने में उनकी भूमिका के लिए भी जाना जाता है
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, अन्य सभी अवतारों के विपरीत, परशुराम जी वर्तमान में भी पृथ्वी पर ही निवास करते हैं. इसीलिये, श्री राम तथा श्री कृष्ण की तरह, परशुराम की पूजा नहीं की जाती है.
दक्षिण भारत में, उडुपी के पास पवित्र स्थान पजाका में, एक प्रमुख मन्दिर स्थित है जो परशुराम जी को समर्पित है. भारत के पश्चिमी तट पर भगवान परशुराम को समर्पित अनेक मन्दिर अवस्थित हैं.
कल्कि पुराण में वर्णित है कि, परशुराम भगवान विष्णु के 10वें एवं अन्तिम अवतार श्री कल्कि को शस्त्र विद्या प्रदान करने वाले गुरु होंगे. यह प्रथम अवसर नहीं है कि भगवान विष्णु के छठवें अवतार किन्हीं अन्य अवतार से भेंट करेंगे.
रामायण (Ramayana) के अनुसार, देवी सीता (Sita Mata) और भगवान राम (Shree Ram) के विवाह समारोह में परशुराम जी का आगमन हुआ था तथा भगवान विष्णु (Vishnu Ji) के 7वें अवतार श्री राम जी से उनकी भेंट हुयी थी .