शादी के बाद अक्सर रिश्ते के रंग उड़ने लगते हैं, जानिए कि क्या करें कि ऐसा न हो

आपने देखा होगा कि शादी के पहले दो लोगों के बीच एक अलग-सी ताज़गी और चंचलता रहती है। लेकिन कई युगल शादी के बाद उन ज़रूरी पहलुओं को नज़रअंदाज़ करने लगते हैं, जो उनके रिश्ते को ज़्यादा मज़बूत और ताज़ा रख सकते हैं। शादी की मोहर लगते ही, जहां प्यार जताने और निभाने का हक़ और ज़्यादा मिल जाता है, वहीं हैरानी की बात है कि वक़्त के साथ ये ताज़गी उतनी ही कम होती चली जाती है।

जिस तरह से पौधे को पानी ना दो तो वो मुरझा जाता है, उसी तरह यदि रिश्तों में ताज़गी न हो तो वो भी मुरझाने लगते हैं। इसके फलस्वरूप रिश्तों में दूरियां बढ़नी शुरू हो जाती हैं। इन फ़ासलों में कभी ग़लतफ़हमियां भी अपनी जगह इस तरह से बनाने लगती हैं कि मनमुटाव पैर पसारने लगता है।

इसलिए ज़रूरी है कि अपने रिश्ते को प्यार और छोटी-छोटी कोशिशों से ताज़ा बनाए रखें।

एक-दूसरे को समझें

अक्सर स्त्रियां शादी में अकेले घर-बाहर की ज़िम्मेदारियां संभालने को लेकर सशंकित रहती हैं, वहीं पुरुष हरवक़्त के पति बने रहने पर अड़े रहते हैं। नवविवाहिता को घर संभालने, खाना बनाने या घर-दफ़्तर का तालमेल बिठाने में शुरुआत में मुश्किलें आ सकती हैं। पति अगर इन मुश्किलों को समझते हुए कभी नाश्ता-खाना बनाने में मदद कर दे, घर मिलकर संभाल दे, तो पत्नी रिश्ते में अपने बराबर के मान का एतबार कर सकेगी। वहीं पत्नी पति के थककर आने पर उसे थोड़ा स्पेस दे दे, तो पति को भी यक़ीन आ जाएगा कि उसका भी अपना समय है।

पूछने में झिझकें नहीं

एकतरफ़ा रिश्तों का कोई भविष्य नहीं होता। अगर पति-पत्नी के बीच सवाल करने या किसी तरह की जिज्ञासा व्यक्त करने की गुंजाइश नहीं होगी, तो रिश्ते में अवरोध आने लगेंगे। सवाल पूछना, इल्ज़ाम लगाने जैसा न हो। यह संवाद करने व एक-दूजे को समझने का भी एक तरीक़ा है। जो सवाल अच्छे न लगें, उनके बारे में भी कारण बताते हुए साफ़ बात करें। ‘फ़ालतू सवाल मत किया करो’ कहकर टरकाना दूरियां बढ़ाएगा।

होती रहें मस्तियां

वैवाहिक जीवन ज़िम्मेदारियां लेकर आता है। ऐसे में थोड़ी चिंताएं होना स्वाभाविक है। लेकिन रिश्ते में हल्की-फुल्की मस्ती और तक़रार चलती रहनी चाहिए। एक शोध में ये सिद्ध हुआ है कि ख़ुशमिज़ाज कपल्स के बीच क्लेश और झगड़ों की वजहें कम पैदा होती हैं। हां, मज़ाक दिल दुखाने वाला न हो।

साथ मिले तो मुस्काएं

जैसे शादी से पहले जब मिलते थे, तो एक-दूजे को देखकर बांछें खिल उठती थीं, वैसे ही दिन-भर के बाद जब एक-दूसरे को देखें, तो मुस्कराएं। यह ख़ुशी बिना किसी शब्द का साथ लिए भी दिल तक पहुंचेगी और रिश्ता हरिया उठेगा।

छोटे-छोटे जश्न हों

अक्सर कपल्स बर्थडे, एनवर्सरी और कुछ ख़ास अवसरों को ही उत्सव के रूप में मनाते हैं, जिससे सेलिब्रेशन के मौक़े गिने-चुने रह जाते हैं। पति कभी यूं ही पत्नी को घर या दफ़्तर से लेते हुए ख़रीदारी या रात्रि भोज के लिए ले जाए, तो केवल पत्नी को ही नहीं, ख़ुद पति को इत्मीनान होगा कि जीवन की एकरसता दूर हुई। इससे रिश्ते को नई ताज़गी मिलेगी।

सबसे पहले रिश्ता

आपके रिश्ते को हमेशा ताज़ा और तंदुरुस्त बनाए रखने के लिए कारगर होगा और ज़रूरी भी कि एक-दूसरे को प्राथमिकता दें। तय करें कि आप अपने साथी के साथ नियमित रूप से कुछ समय व्यतीत करेंगे, जैसे हर हफ़्ते साथ में मंदिर जाना, शाम को खाना खाने के बाद टहलना, पूरे दिन में कम से कम एक बार साथ में खाना, कभी-कभी एक रंग के कपड़े पहनना, एक-दूसरे की पसंद से कपड़े पहनना आदि। ये छोटी बातें लगती हैं, लेकिन इनकी अहमियत बहुत बड़ी है।

शौक़ क़ायम रखें

कपल्स अधिकतर अपने बीच एक सीमा रखते हैं। लेकिन असली रिश्ता वही होता है जहां पारदर्शिता हो। दोनों की पसंद-नापसंद मिलती-जुलती हो, तो बहुत अच्छा है, लेकिन अगर अलग है, तो भी अपने-अपने शौक़ ज़रूर पूरे करने चाहिए। दूसरा उसमें शामिल होना चाहे, तो अच्छा, और न भी शामिल होना चाहे, तो भी अपने शौक़ को बरक़रार रखें। ख़ुद ख़ुश रहेंगे, तभी तो दूसरे की ख़ुशी को समझ सकेंगे।

झगड़ा हो क़ायदे से

नियम बनाएं कि कुछ बुरा लगेगा, तो बता देंगे। एक-दूसरे की रोक-टोक या कुछ कड़वा कह देने के बारे में साफ़ बात करेंगे। घर की बात बाहर नहीं करेंगे। सुनने का सब्र रखेंगे। संवाद से उठकर नहीं भागेंगे। और ‘तोुमसे तो बात करना मुश्किल है, बेकार है’ जैसे जुमले संवाद का हिस्सा कभी नहीं बनेंगे।

आभार व्यक्त करें

पति या पत्नी कोई छोटी-सी भी मदद करे, तो दूसरा आभार ज़रूर माने। इससे जहां मदद की अहमियत स्वीकार हुई इसका पता चलेगा, वहीं किसी की मेहनत को फ़र्ज़ का नाम देकर नज़रअंदाज़ नहीं किया जाएगा यह विश्वास पुख़्ता होगा।

ये मौक़े ना छोड़ें

लोग यदि अपने जीवनसाथी को आईने की तरह देखें तो उसमें वो ख़ुद को देख पाएंगे। अपनी कमियां, अच्छाइयां और इन पर जो काम करना है, वो यदि आप अपने साथी से पूछें तो उससे बेहतर कुछ नहीं होगा। एक-दूसरे की अच्छाइयों को सराहें। इससे न सिर्फ़ रिश्ते में विश्वास पैदा होता है, बल्कि एक-दूसरे को पैंपर करने का भाव भी जागता है।

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